कोहरा
रविवार की छुट्टी थी,
पर कोहरा कर्तव्य निभाने आ गया
सर्दियों के मौसम में,
और सर्दी बढ़ाने आ गया।
धूप भी डर कर छुप गई है,
ठंड का डंडा चलाने आ गया।
घूम रहा है बेधड़क राहों पर,
देखो सितम ढ़ाने आ गया।
अवकाश है हम भी बैठे हैं घर में,
वो कर्तव्य निभाने आ गया।
____✍️गीता
बहुत खूब, अति सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी, हार्दिक आभार
बहुत खूब
बहुत-बहुत धन्यवाद सर 🙏
अतिसुंदर भाव
सादर धन्यवाद भाई जी 🙏