क्या लिखूँ जो दुनिया को भाये ।

गजल ।।

क्या लिखूँ जो दुनिया को भाये ।
मैं नहीं तो क्या कोई तो भाये जहां को ।।1।।

जहां को अगर लगते है शख्स वो प्यारे ।
तो मैं क्यूँ महफिल में सरेआम बदनाम हुँ ।।2।।

बदनाम मैं नहीं तो क्या वो आम आदमी है ।
जो जिस्म के बाजार में मेहनत के रोटि खाते है ।।3।।

जिनके ऊँची शान है, उनके बोल के भी कुछ दाम है ।
मगर जहां में फकीर के शान, सब मोल के महान ।।4।।

यूँही लोग आज कुछ लिख देते है ।
लोग बेवजह झंझट मोल लेते है ।।5।।

वो वक्त आज नहीं जो लेख को पढ़ते कोई ।
आज लोग सिर्फ पसंद टिप्पणियाँ पे ध्यान देते है ।।6।।

मगर मेरे दोस्त कवि शायर लेखक पसंद टिप्पणियाँ से कोशो दूर होते है ।
उनके विचार सूर्य के सूर्य के रौशनी तो क्या हर घरों में आबाद करती है ।।7।।।

जहां को अगर लगते है शख्स वो प्यारे ।
तो मैं क्यूँ महफिल में सरेआम बदनाम हुँ ।।8।।

कवि विकास कुमार

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