खुदकुशी मत कर मनुज
संसार मे दुख-सुख
लगे रहते हैं
मत घबरा मनुज।
जिंदगी से प्यार
खुदकुशी मत कर मनुज।
गम मिले जिस राह पर
उस राह को तू त्याग दे,
आस मत रख दूसरे से
जी स्वयं के वास्ते।
कोई दे गर ठेस तुझको
छोड़ दे उसका चमन
पर न कर तू घात अपना
ठोस कर ले अपना मन।
बहुत बढ़िया
Thanks
सुंदर भाव
धन्यवाद जी
बिल्कुल सही कह रहे हैं आप,
” कोई दे गर ठेस तुझको छोड़ दे वो चमन”
इन पंक्तियों को पढ़ कर किसी भी दुखी व्यक्ति को राहत मिल सकती है। कवि ने एक चिकित्सक का कार्य भी किया है।
ऐसी लेखनी को शत – शत नमन।
ऐसी सुन्दर और विद्वत समीक्षा की है आपने गीता जी, सादर नमस्कार, जो आपने इतनी सुंदर तरीके से उत्साहवर्धन किया।
बहुत बहुत स्वागत जी। 🙏आपने लिखा ही बहुत सुंदर है।
सुन्दर
सादर धन्यवाद जी
Very nice
Thanks
अतिसुंदर
बहुत खूब
Very good
Thank You
Very Nice
Thanks Ji
Very nice
Thanks