तुम नारी हो
तुम नारी हो, यूं अबला न बनो ।
दुर्गा – अवतारी हो, सबला तो बनो ।
बीती बातों को छोड़ परे,
आगे के रस्ते तय तो करो ।
रस्ता था, कांटो वाला बीत गया
रस्ता अब , फूलों वाला आएगा ।
जीवन में तेरे ए, प्यारी सखी,
कोई सुखद संदेशा लाएगा ।
सौगंध तुम्हे तुम ना हारोगी,
भीतर की उदासीनता मारोगी ।
बहुत सुंदर कविता, बहुत सुंदर संदेश
बहुत बहुत धन्यवाद आपका चंद्रा जी 🙏
Wow, very nice poem
Thank you very very much mam🙏
तुम नारी हो, यूं अबला न बनो —–
गीता जी, आपके द्वारा कम शब्दों में सारगर्भित बात कही गयी गई। निराशा में घिरी सखी को प्रेरित करते भाव तत्व की प्रधानता है। भाषा मे दुरूह के बजाय सरल शब्दों का प्रयोग किया गया है। आपकी भाषा मे प्रवाह है, लय है, जिस कारण कला पक्ष ने भी मजबूती प्राप्त की है। आपकी लेखनी निरंतर यूँ ही चलती रहे।
निराश को उत्साह देना ही कविता और दोस्त का काम है, जो आपकी कविता में आया हुआ है।
बहुत सारा धन्यवाद आपका सतीश जी 🙏 आपने कविता के भाव को बहुत ही अच्छे से समझा है और बहुत ही खूबसूरती से समीक्षा भी की है।…….. आपकी सुंदर समीक्षा के लिए बहुत बहुत आभार 🙏
सुन्दर अभिव्यक्ति
धन्यवाद जी 🙏
सुन्दर कविता
बहुत बहुत शुक्रिया इंदू जी🙏
बहुत बहुत अच्छी रचना
बहुत बहुत धन्यवाद ऋषि जी 🙏
सुन्दर कविता
बहुत बहुत धन्यवाद आपका वसुंधरा जी 🙏
जबरदस्त,उम्दा
नारी शक्ति की जय हो
Of course …jai ho
सुंदर प्रस्तुति
अतिसुंदर भाव
सादर धन्यवाद भाई जी 🙏
Bahut hi sundar
Thank you very much for your pricious complement Isha ji
वाह जी वाह
बहुत बहुत धन्यवाद आपका पीयूष जी 🙏
तुम नारी हो, यूं अबला न बनो ।
अतिसुंदर भाव
कविता के भाव को समझने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद इन्दु जी 🙏