दशहरा विशेष

दशहरा का पर्व है आया

अच्छाई ने बुराई को हराया

विजय गीत सब मिल गाओ

कुछ ऐसा पर्व मनाओ ||

सोंचो तरक्की के जुनून में

हम खुद से हो गए पराए

हमको लगे जकड़ने ,ख्वाहिशों के मकड़ी साए

तज कुरीतियां अन्तस्तल में प्रेम दीप जलाओ

कुछ ऐसा पर्व मनाओ ||

लूटपाट और छीना झपटी तोड़ फोड़ को छोड़ो

विघटनकारी घृणित भावना से अपना मन मोड़ो

अब नैतिक पथ पर चलो चलाओ

कुछ ऐसा पर्व मनाओ ||

रक्त विषैला दौड़ रहा है नर की नस नस में

कर्म घिनौना भरा हुआ है उर की हर धड़कन में

वाणी विष का वमन कर रही कर की गति अति उलझन में

ला परिवर्तन सभी क्षेत्र में सुरभित देश बनाओ

कुछ ऐसा पर्व मनाओ ||

लोग झगड़ रहे स्वार्थपरत हो ,भूलकर देश की उन्नति को

अन्दर कुछ है ,बाहर कुछ है

भावना यही ,रोकती प्रगति को

घिरते तम में कुछ धैर्य बंधे ,ऐसी अलख जगाओ

कुछ ऐसा पर्व मनाओ ||

रिश्वतखोरी ,भृष्टाचार ,भूलो तुम सीनाजोरी

निज पौरुष कर्तव्य दिखाओ ,करो न बातें कोरी

अब हर जन मानवता अपनाओ

कुछ ऐसा पर्व मनाओ ||

‘प्रभात ‘ शिक्षा मन्दिर में बिकती है ,ईमान बिकता गलियों में

सुख सुविधा सब मिलकर बंट गई देश के ढोंगी छलियों में

रावण कर रहा उन्माद ,अब संसद की प्राचीरों में

आओ सब मिल, इन ढोंगी छलियों का पुतला जलाएं

कुछ ऐसा पर्व मनाएं ||

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