दीये

मिट्टी से दीये बनते हैं
और उजाले मन के अंधेरों को दूर करते हैं

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मिट्टी से गढ़ी है,  नन्ही सी परी है,  ना माँ की दुलारी, ना बाबा की प्यारी, ये सङकें ही घर है इसका , यहीं सारा जग…

NASHA

चल अाज सब कुछ भुला के एक मज़ा सा करते हैं, तफ़रीकें मिटा के दिल-ओ-दिमाग़ को एक रज़ा सा करते हैं, दुनिया की सुद्ध में…

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