पाबंदी
सच बोलने पर, आज पाबंदी लग चुकी है।
मर चुके ज़मीर, यहाँ खुलेआम बिक रहे हैं।
डर के कारण, कोई आवाज़ नहीं उठाता
यूँ तारीफों वाले बोल तो, बहुत लोग बोल रहे है।
आज जो हालत हैं, ये किसी से छुपे नहीं
खुलकर कुछ कह नहीं सकते,
बस इसीलिए संभलकर लिख रहे है।
वाह बहुत सुंदर रचना ढेरों बधाइयां
Thanks for appreciation
बहुत खूब
Thanks
बढ़िया
Thanks
सही बात
Thanks ji
Wah