पीर का उपहार !!

आपको लगता है क्या
मैं चाँद हूँ या चाँदनी

रात के झुरमुट में बैठी
हूँ मैं कोई अप्सरा

गीत हूँ या हृदय की
टूटी-फूटी रागिनी…

आपको लगता है क्या..

अमरत्व का वरदान हूँ या
करुणत्व की उत्श्रृंखला

हूँ सरोवर प्रेम का या
पीर का उपहार हूँ !!

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. उत्श्रृंखला में श्र ह्रस्व होता है परंतु मेरे की-पैड से लिखा नहीं इसलिए क्षमा चाहती हूँ..

  2. अमरत्व का वरदान हूँ या
    करुणत्व की उत्श्रृंखला

    हूँ सरोवर प्रेम का या
    पीर का उपहार हूँ !!
    वाह बहुत सुन्दर काव्य प्रतिभा है। लाजबाब पंक्तियाँ हैं, निश्चय ही प्रेम का सरोवर।
    जय हो,

  3. अमरत्व का वरदान ही समझ खुद को,
    सकारात्मता से जी ले ये सुन्दर जीवन।
    यदि, कभी कुछ में मुताबिक ना भी हुआ हो तो
    सोच ,उसमे भी कुछ अच्छा ही था।
    ……………………….अति खूबसूरत काव्य रचना।
    काबिले तारीफ 👏👏
    मज़बूत लेखनी की पहचान।

New Report

Close