मेरे भाई की शादी…
बात 4-5 साल पहले की है। मेरे छोटे भाई ने एक लड़की पसंद कर ली। लड़की विजातीय थी, बस घर में कोहराम मच गया।
जो चाचा,मामा फूफा मेरे भाई पर लाड लुटाते थे, मानो उसके दुश्मन बन गए। भाई ने लड़की से मुझे मिलवा रखा था ।बड़ी क्यूट सी लड़की थी,मुझे तो पसंद थी। मम्मी पापा सब बिचारे के पीछे पड़ गए। जब मैने पक्ष लिया तो मुझे कहा लड़की, तुम चुप रहो।
भाई जो अभी तक गर्दन झुकाए बैठा था, बोला…क्यूं चुप रहेगी वो बड़ी बेटी है इस घर की, शादी हो गई तो क्या पराई हो गई । मैं उसका भाई हूं, और मेरे मामले में वो बोल सकती है। फ़िर तो भैया, भाई ने कवि “कुमार विश्वास’ जी की पंक्तियां गानी शुरू कर दी….”बड़े ही चाव से सुनते हो, तुम किस्से मोहब्बत के, मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा, तो हंगामा”……बस , फिर क्या था सब एक दूसरे का मुंह देखने लगे बस फिर हो गईं दलीलें शुरू, लड़की देखेंगे, उसका खानदान देखेंगे । भाई बोला हां- हां सब देख लेना।…..बस लड़की पसंद आ गई सबको। ख़ूब धूमधाम से शादी हुई। आज मेरी भाभी सबकी लाडली बन के रहती है।
Very nice…
Thank you pragya ji
अतिसुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद आपका भाई जी 🙏
बहुत ही सुन्दर तरीके से वर्णन करने में आपकी लेखनी सक्षम है, आपकी काबिलियत इन पंक्तियों में साफ़ झलक रही है, वाह
बहुत बहुत धन्यवाद आपका सर। सुंदर समीक्षा के लिए आपका आभार 🙏
👉✍👌👌🙏😃😃😃
Thank you 🙏
वाह, आपकी बात निराली है।
समीक्षा के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ईशा जी🙏
बहुत सुंदर
Thank you mam
सुन्दर लघुकथा
बहुत बहुत शुक्रिया मोहन जी 🙏
बहुत खूब वाह
Thank you mam 🙏
बहुत सुंदर लेखनी मनोहर चित्रण
आपका हृदय से धन्यवाद इन्दु जी 🙏