मोहब्बत का फसाना

खो गया था मैं अपने आप में ही
और तेरी याद में तड़पता रहा
इतने सालों बाद तेरी गलियों में कदम रखा
नाम लेकर तेरा पुकारता तुझे भटकता रहा.

इस उम्मीद में कि तुम कहीं तो मिलोगे
मैं जोर से आवाज लगाता रहा
ढूंढा वो चौबारा, देखा वो गलियारा
बार-बार चक्कर तेरे चौराहे के लगाता रहा.

क्या भूल गए लोग
अब हमारी मोहब्बत का फसाना
रवैया ऐसा है उनका
मानो कह रहे हो दोबारा इन गलियों में ना आना.

कहीं से आकर मुझे पत्थर लगा
समझ लिया कि गुजरे जमाने की आहट मिल गई
किसी को आज भी याद है हमारी मोहब्बत
यह सोच दिल को राहत मिल गई.

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

    1. इल्जाम सभी अपने ऊपर लेते हैं बेरहम जमाने के,
      मोहब्बत करने वाले तो
      बस बहाने ढूंढते हैं पत्थर खाने के

+

New Report

Close