सुधार निशदिन
बहुत ही है मुश्किल
औरों में सुधार लाना
बेहतर है खुद को ही
निश दिन सुधारते जाना
काम बहुत है सारे
हर दिन पांव पसारे
कुछ कर नाम कमाते
तो कोई कल पर टारे
दिन यूं ही गुजरते चले जाते
कुछ फुरसत कहां कभी पाते
कई आराम से नित न अघाते
कुछ उन्हें देख चिंतित हो जाते
बीमारी खड़ी मुंह बाए
चंचल को कम ही सताये
आलसी शिकार हुआ जाये
कारण कब समझ में आये
परिवार के ही दोनों अंग
इक आगे नित ही बढ़ाए
इक बिना कुछ किये ही
कर्मठ को नित ही सताये
स्वस्थ वो ही जो प्रयत्नशील
काम करे औरों से कराये
निकम्मा तो हर दिन जले
कटु बातों से पर को सताये
अच्छी सोंच से हर इंसान
आगे को सदा बढ़ता जाये
मधुर मुस्कान नित ही बिखेरे
पर के कष्टों को हरता जाये
स्वस्थ वो ही जो प्रयत्नशील
काम करे औरों से कराये
निकम्मा तो हर दिन जले
कटु बातों से पर को सताये
अच्छी सोंच से हर इंसान
आगे को सदा बढ़ता जाये
मधुर मुस्कान नित ही बिखेरे
पर के कष्टों को हरता जाये
बहुत ही उम्दा पंक्तियां
बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति 👏👏👏
“बहुत ही मुश्किल औरों में सुधार लाना, बेहतर है खुद को ही निश दिन सुधारते रहना ” वाह सर मनुष्य को प्रेरणा देती हुई बहुत सुंदर रचना।
बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
अच्छी सोच से हर इंसान
आगे को सदा बढ़ता जाये
मधुर मुस्कान नित ही बिखेरे
पर के कष्टों को हरता जाये।
लाजवाब पंक्तियाँ हैं सर। आज की बेहतरीन कविताओं में आपकी कविता है। आपकी कविता में बनावटीपन बिल्कुल नहीं है। वाह वाह
बहुत खूब
बहुत ही सुंदर भाव अभिव्यक्ति
वास्तव में अगर हम खुद की कमी सुधार लें तो जमाना अपने आप सुधर जाएगा