हमका देखि बोलीं भऊजी !!

सीतापुरिया अवधी बोली:-

हमका देखि बोलीं भऊजी
काहे नाई सोउती हऊ तुम ?
राति-राति भरि किटिपिटि-
किटिपिटि फोन म का
लिखती हउ तुम?
हम बोलेन ओ भाउजी !
थोरी-बारी कविता लिखा
करिति हन हम,
घर बाईठे ऑनलाइन
कपड़ा द्यखा करिति हन हम।
वइ बोलीं हमकउ
सिखाई देऊ हमहूं
कपड़ा देखिबि,
जऊनी साड़ी नीकी लगिहँई
तुमरे दद्दा तेने कहिके मंगाई लीबि।
हम कहेन ठीक भऊजी
अब हमका जाइ देउ,
कुछु टूटी-फाटी
कवितन का हमका लिखइ देउ ।

Related Articles

पुलिस दरोगा भऊजी

सीतापुरिया अवधी रचना = “हमरी तऊ पुलिस दरोगा भऊजी” अउरेन की भऊजी जेलि करउती, हमरी तऊ पुलिस, दरोगा भऊजी। दिनु भरि स्वावईं अईसी-वईसी, पहरा राति…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

अम्मा भई बाँवली..

सीतापुरिया अवधि:- राति क द्याखँइ चांद-सितारा दिनमाँ चांद निहारइ दिन भरि छोटुआ-छोटुआ कहिके अम्मा लाल पुकारइ अम्मा भई बाँवली। टूटी खटिया फटी चटाई जब अम्मा…

अम्मा भई बाँवली..

सीतापुरिया अवधि:- राति क द्याखँइ चांद-सितारा दिनमाँ चांद निहारइ दिन भरि छोटुआ-छोटुआ कहिके अम्मा लाल पुकारइ अम्मा भई बाँवली। टूटी खटिया फटी चटाई जब अम्मा…

Responses

+

New Report

Close