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दो सिसकियाँ हीं कभी काफ़ी हैं दिल हल्का करने को,
दो साँसे हीं कभी काफ़ी हैं ज़िंदगी जी लेनो को

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Responses

  1. काफी है बस उनके साथ होने भर का अहसास
    जिंदगी को लफ्जों में ढलने को

  2. सिसकियाँ, दिल, साँसे, ज़िंदगी – gehne smet liye Urvashi ….sambhaal ke rakhna ..beshkeemtee hain …halke nehi bohut hee keemte hain yeh khzaane …

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