Pyasi dharti hai pukar rahi
प्यासी धरती
है पुकार रही
बादल तू बरस
न गरज
बस तू बरस
हो रोम रोम
पुलकित मेरा
खिले अंकुर नया
मिले नवजीवन
इन फूलों को
इन पौधों को
खिल जाए यह चमन
इंद्रधनुषी रंगों से
मिले खुशियां
मेरे चमन को
मेरे बच्चों को
है कपूत कितने मेरे
पर मैं कुमाता नहीं
थी उपजाऊ
मिट्टी कभी मैं
पर इन्होंने तो मुझे
बंजर है बना दिया |
Nice mam
Thanks
काफ़ी रंगबिरंगा वर्णन है
Thanks
सुन्दर रचना
Thanks
So nice
Thanks
वाह
Thanks
Wah
Thanks
बहुत सुंदर रचना
Thanks