Pukara sahil samandar ka
पुकारता साहिल
समंदर का,
मत दूर जा
ओ लहरें मुझसे,
लहरें कहां सुनी
साहिल की,
वह तो चली
जाती है दूर,
खुद को तन्हा
पाकर,होता है
पछतावा उसे,
जब वो निकल
आती है दूर ,
क्यों थी मदमस्त
उच्शृंखल इतनी.
क्यों नहीं सुनी
साहिल की,
आती है उसे याद
अब साहिल की,
कितने प्यारे दिन
थे हमारे, जब हम
मिला करते थे,
तेरी कदर समझ
आई साहिल अब,
भूल मत जाना
मुझे साहिल तुम,
रखना यादों में
बसा कर तुम |
उत्कृष्ट रचना
Sukriya
Kmaal
Sukriya
वाह जी वाह
Thanks
,😀
Thanks
Awesome