Rana prtap

वह राणा अपना कहाँ गया ,
जो रण में हुंकारें भरता था।
वह महा प्रतापी कहाँ गया,
जिससे काल युद्ध में डरता था ।
जिसके चेतक को देख – देख ,
मृगराज दंडवत करता था।
वह वीर प्रतापी कहाँ गया ,
जिसके भाले को देख देख ,
खड्ग निज तेज खण्डवत करता था।
वह विकराल वज्र मय कहाँ गया ,
जिससे अकबर समरांगण में डरता था।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

New Report

Close