Ghar ek sapna
घर एक सपना,
होता है, हर एक का सपना,
तिनका तिनका जोड़ कर,
बनाया तू आशियाना,
बुढ़ापे का सहारा
होता है घर अपना,
आती है सच्ची खुशियां
जब घर हो कोई अपना,
जो भी हो, जैसा भी हो,
बस वह घर हो अपना,
जिसे कह सकूं मैं अपना.
करता है महसुस वो अस्तित्विहीन,
जिसे ना हो कोई घर अपना,
सर पर एक छत हो अपना,
सोने को बिस्तर हो अपना,
तब सपना हो जाता है अपना |
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Apna ghar
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वाह