इश्क के दो पन्ने
इश्क के दो पन्ने मैं भी लिखूंगी
तुम्हारी याद में रात भर मैं भी जागूंगी।
——————————
प्रीत की चादर ओढ़ कर
अंबर के तले,
तेरे सपने मैं भी बुनूँगी
इश्क के दो पन्ने मैं भी लिखूंगी।
—————————-
कल्पना के दरिया में तैर कर
रेत का चंदन बदन पर,
मैं भी मलूंगी
इश्क के दो पन्ने मैं भी लिखूंगी।
——————————–
तुम से हार जाऊंगी
उसी को जीत मानूंगी,
तुम्हारी जीत में ही
मैं खुद को विजयी बनाऊंगी
इस तरह इश्क के दो पन्ने मैं भी लिखूंगी।
Nice
थैंक्स
अति सुन्दर रचना
🙏🙏
Very nice.
धन्यवाद
Very nice