कैसे कहूँ?
कैसे कहूँ, किससे कहूं कि हाल ए दिल क्या है,
रोना अकेले ही है अंजाम ए बयान क्या है।
जब तक खुश रहती हूँ, लोगों की हंसी सुनाई देती है।
जब दुखी होती हूँ बस अपनी चीख सुनाई देती है।
बाते बहुत है पर डर लगता है कुछ कहने से,
बहुत से किस्से हैं दिल के कोने में सहमे से।
डर लगता है लोग क्या कहेंगे, क्या सोचेंगे मेरी बाते सुनकर।
इसीलिए मैंने भी खुद को छुपा लिया कुछ किरदार चुनकर।
खुदको खोने का डर भी सताता है,
आइना भी अब किरदार ही दिखाता है।
दुःख है भी तो बयान नही हो पाता है,
किरदार मेरा दर्द छुपाना ही सिखाता है।
पास हूं मैं बहुत से लोगों के, कुछ लोग मेरे लिए जरूरी हैं।
पर किसी से कुछ न कह पाना पता नहीं कैसी मजबूरी है।
आइना भी अब किरदार ही दिखाता है
bahut khoobsurat kavita
Thank u 😊
nice
Thanks 😊
Nice
Thank u so much 😊
👌
Thank u 😊
वेलकम
बहुत सुंदर
Thanks 😊
बातें।👌
आपकी पंक्तियां अतुल है कला पक्ष और भाव पक्ष से भी ज्यादा मजबूत है
Aapka bahut bahut dhanyavaad