किरदार
जटिल है किसी को पूर्णतः समझना
अस्थिरता रहती है सबके जीवन में
क्यों मानक तय करना किसी के लिए
गुज़रता है हर कोई अलग संघर्षों से
हर शख्स में दो किरदार जीवित हैं
अपनी सच्चाई अपने ही साथ है
हम किस किरदार को जीना चाहते हैं
ये निभाना भी सिर्फ अपने हाथ है
कोई इतना अनुभवहीन नहीं यहाँ
हर बंदा परिपक्व ही दिखता है
विचारों में भिन्नता हो भी तो क्या
ज़रा सा संभल रिश्तों को जीवित रखता है
Nice
Shukriya 🙏🏼 sir
लाजबाव
Shukriya 🙏🏼 sir
nice poem Anita
Thanks anshita
nice
Thank you🙏🏼
भाव पूर्ण रचना
Shukriya 🙏🏼
अच्छा है
Shukriya 🙏🏼
अच्छी रचना
Shukriya 🙏🏼
किसी को पूर्णता समझने के लिए उसे अपना बनाना पड़ता है उसकी कमियों और अच्छाइयों को स्वीकार करना पड़ता है आपने बहुत ही सुंदर भाव रखे हैं