प्रेम-बन्धुत्व का नौमिनेष

प्रेम-बन्धुत्व का नौमिनेष
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हर बालक को एक-सा,
पालन पोषण,शिक्षा परिवेश मिले।
समता,मानवता,बन्धुत्व,करूणा
भरने वाला देश मिले।
क्या बिगाड़ेगा उनका कोई
जहाँ रहीम जौर्ज गणेश मिले।
एक ऐसी धरा का नवनिर्माण करें
जहाँ देश से गले विदेश मिले।
ना चीन हमारी जमी हरपे,
ना पाक से विष रूपी द्वेष मिले।
साम्राज्यवादियो के नापाक इरादे धूल दूषित हो
प्रेम-बन्धुत्व का नौमिनेष खिले।
हाँ, एक ऐसी धरा का नवनिर्माण करें
जहाँ देश से गले विदेश मिले।।
सुमन आर्या

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Responses

  1. मानवतावादी विचारों से प्रेरित,सराहनीय रचना
    अगर “करुणा भरने वाला देश मिले” पक्तिं में देश की जगह सन्देश शब्द का इस्तेमाल होता तो और भी बढ़िया तुकबंदी बनती।

  2. Ye सुंदर कल्पना साकार सिर्फ भारत देश में ही हो सकती है
    सुंदर पंक्तियां👏

  3. कविता के माध्यम से एक आदर्श देश की कल्पना की गयी है जहाँ पर समरसता हो, समानता हो, हम अपने देश भारत में व्यापक जनजागरूकता से यह लक्ष्य हासिल कर सकते हैं, सुंदर प्रयास

  4. तद्भव तत्सम शब्दों का सुंदर प्रयोग तथा जनता में जागरूकता लाने वाले सुंदर कविता और एक सुंदर देश बनाने की कवि की कल्पना सराहनीय है भाव पक्ष संवेदनशील है कल आप आज बहुत मजबूत है

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