बेटी
मैं भी तो नन्ही कली हूँ, तेरे अंदर ही पली हूँ
तू ही तो ज़रिया है माँ, मैं तेरे कदमों से चली हूँ
बस मुझे इतना बता माँ,
क्या मैं बेटे सी नही ? माँ क्या मैं बेटे सी नही ?
मैंने तेरे पेट में दुनियांं समझकर जी लिया,
जो मिला तुझसे वही खाया वही था पी लिया..
क्या हुई मुझसे खता माँ,
क्या मैं बेटे सी नही ? माँ क्या मैं बेटे सी नही ?
मैं बड़ी होकर भी तुझ पर बोझ न बनती कभी,
साज़ बन जाती तेरा मैं, सोज़ न बनती कभी..
क्यूँ मिली मुझको सज़ा माँ,
क्या मैं बेटे सी नही ? माँ क्या मैं बेटे सी नही ?
मायने:
साज़ – संगीत वाद्य
सोज़ – जलन
Superb
धन्यवाद आपका
nice
🙏🙏
सुन्दर
🙏🙏
ह्रदय स्पर्शी एवं मार्मिक रचना
शुक्रिया जी
अतिसुन्दर
धन्यवाद आपका
nice
बहुत शुक्रिया
Nice