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*श्याम ! कभी गोपी बनके तो देखो*
अगर राधा ना होती तो श्याम से प्रीत कौन करता ? अगर मीरा ना होती तो भक्ति के पद कौन गाता फिरता ? यही तो…
रफ्ता रफ्ता
रफ्ता-रफ्ता चलते जा रहे हैं मंज़िल की ओर….. खुशी तो बहुत है फकत इतना गम है हम भी तेरे जैसे होते जा रहे हैं…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
अपहरण
” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…
नरासुर
भयावह हो,मासूम हो?कैसा है चेहरा तुम्हारा? घूमते हो बीच हमारे, फिर भी ना जाना हमारा, नज़रें तुम्हारी अनजानी सी, अनदेखी, ना पहचानी सी, ना जाने…
वाह! क्या बात है।
बहुत खूब
बहुत ख़ूब
बहुत सुंदर