Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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लिख कवि लिख कवि लिख भावनाओं में बहकर लिख खुशीयों में फूदक कर लिख दर्द आह महसूस कर लिख तन्हाई को साथी बनाकर लिख लिख…
लौट आओ अपने खेतों पर
लौट आओ अपने खेतों पर अब हरित क्रान्ति लिख देंगे। उजाड़ गौशाला को सजाकर अब श्वेत क्रान्ति लिख देंगे। फिर से नाम किसानों का लाल…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
अस्थिर
शीर्षक – अस्थिर जो सोचती हूँ अपने बारे में शायद किसी को समझा पाऊँ, मैं वो पानी की बूंद हूँ जो आँखों से आँसू बनकर…
बहुत ही सुंदर लिखा है पाण्डेय जी
सादर धन्यवाद जी
बहुत ही सरस कविता, क्या शानदार सोच है वाह
बहुत बहुत धन्यवाद
वाह, बहुत सुंदर कविता है ।कवि के अतीव सुंदर भावों की अभिव्यक्ति बहुत ही खूबसूरती से हुई है । लेखनी से सुंदर साहित्य प्रस्फुटित हुआ है ।
लेखनी को मेरा सादर प्रणाम ।
इतनी सुंदर समीक्षा हेतु सादर प्रणाम गीता जी, आपकी लेखनी प्रेरणादायी और उत्साहवर्धक है। पुनः अभिवादन
सुंदर वचन
बहुत बहुत धन्यवाद प्रज्ञा बहन
वाह वाह क्या बात है!!!!!
सुन्दर प्रस्तुति