लड़के!!
लड़के!!
20 नम्बर की चाबी ले आ,
जा उस गाड़ी के नट खोल,
टायर में हवा भर,
जा मोबिल ऑयल ले आ,
उस गाड़ी में ग्रीस कर ले।
औजार निकाल,
औजार संभाल,
जा ग्राहकों को पानी पिला,
दौड़ के जा
अंदर से ट्यूब ले आ।
यह सब दिन भर कहते रहे
काश यह भी कह लेते
ले खाना खा ले।
थोड़ा सुस्ता ले।
बहुत गम्भीर वा मार्मिक रचना…
एक गरीब बच्चे के मनोभावों को व्यक्त करती हुई कवि सतीश जी की बहुत संजीदा रचना
अतिसुंदर