नदिया बहती है
कल कल कल कल
नदिया बहती है,
साफ स्वच्छ है पानी,
जी करता है खूब नहा लूँ,
मगर डर रही है रानी,
मन की रानी का डरना
मेरे मन में करता हैरानी।
पूछा तो कहती है वो
क्यों करते हो इतनी नादानी
मौसम बदल गया है लेकिन
अभी भी है ठंडा पानी।
भरी दोपहर भी गर होती
तब भी थोड़ा कहते हम,
मगर सुबह में ठंड बहुत है
छींटे से धो डालो गम।
बहुत खूबसूरत रचना
धन्यवाद जी
बहुत सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद
कल कल कल कल
नदिया बहती है,
साफ स्वच्छ है पानी,
जी करता है खूब नहा लूँ,
********वाह, प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण अति सुन्दर कविता, सुंदर शिल्प और भाव लिए हुए बहुत उम्दा रचना, सुन्दर प्रस्तुति
इस लाजवाब समीक्षा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी
बहुत खूब
बहुत धन्यवाद
अति सुंदर यथार्थ वर्णन करती सरल कविता
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत सुंदर
सुंदर रचना
प्रकृति का सुंदर वर्णन