अबकी होरी में

सैंया तेरे साथ खेल को लाई चुनरिया कोरी मैं कौन रंग के साथ रंगोगे, मोहे अबकी होरी में जीवन मिला तोहे पाने को,कितने मौसम बीत…

अलविदा इक्कीस

साल गुजरता अलविदा कर ही गया। यादों को उम्मीदों से जुदा कर ही गया। उम्मीदें उतर आई शाम के परिंदों सी, पर पुराना होकर भी…

स्वछंद पंछी

मुक्त आकाश में उड़ते स्वछंद पंछी आह स्वाद आ गया कहकर, वाह क्या जिंदगी कोई मुंडेर, कोई दीवार, या कोई सरहद देश की सब अपने…

मेरे बाबू जी

जिनके बिना मेरा नाम अधूरा जिनके साथ मेरा परिवार पूरा वो छत है बाकी सब दीवारें है एक उन्होंने पूरे घर के सपने सँवारे है…

कहते मेरे है

एक छत है मगर अलग अलग कमरे है कही गम कही खुशी कही बेखबरी सभी अलग अलग चेहरे है कोई नही जानता रात किसकी कैसी…

बहना की पाती

प्रिय भैया लिवा ले जाओ न आकर तुम्हारी याद आती है यहाँ खुश हूं बहुत लेकिन मुझे खुशियां रुलाती है जबसे आई हूं रोती हु…

ज़ौक में

अब आ ही गए हो तुम तो दुश्मन की जरूरत ना रहेगी बैठे बैठे बहुत वक़्त गुजर गया लगता है अब फुरसत ना रहेगी नाम…

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