“मैं”-१

वक्त की कलम से जिन्दगी के हँसी पल लिखने जा रहा हूँ मैं, गमों की परछाई पर खुशियों के साये सा छाने जा रहा हूँ…

हासिल कुछ भी

हासिल कुछ भी नहीं नफरतों से क्यों खेलते हो फिर जज्बातों से जब इंसा ही इंसा का दुश्मन हो क्या मिलेगा किसी को इबादतों से…

कमबख्त दिल

कमबख्त दिल सब समझता है      खुद  दिल से दूरियां रखते है वज़ूद  सामने होता है लेकिन       खुद को बहरूपिया रखते है                 राजेश’अरमान’

हर शख्स बस

 हर शख्स बस अपने ही ख्याल बुनता है  जिसका जवाब नहीं वही सवाल चुनता है   कोई कैसे कहे वो गुमसुम सा  क्यों है  जिसे …

शेर

चंद  मुट्ठी  भर  तुफान  से  लड़ेंगे  , शायद  अंदाज़ा  नहीं ,, इन्हें  ताकत  मोमबत्तियां  लिए  हजारों  हाथ  की ….!! …………….~~**#चंद्रहास**~~

सकून

दहक रही है जो आग तुझमें मिलेगा सकून उसे मिल मुझमें सिमटने की मुझमें तेरी बेकरारी है मुझे अपनी ख़ुदाई से भी प्यारी

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