प्रतियोगिता

May 21, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

आँगे बढ़ने प्रतियोगिता में
सब हुए हिस्से दार
पग बढ़ रहे हैं भीड़ के लगातार
मुश्किल है भीड़ को पहचान पाना
भीड़ में अपनी पहचान बनाना
प्रतियोगिता में पिछड़ने वालो को
अपराधी मानते हुए
उपेक्षित कर दिया जाता है
अकेला जानकार उपेक्षित को
शैतान अपने वश में कर लेता है
उसे नाजायज बनाता है
उसके हाथ में तलवार थमाता है
जिससे वह सबसे आँगे हो जाता है
प्रकरण न्यायालय में पहुंचता है
भीड़ के हाथ उसके समर्थन में
उठ जाते हैं
न्यायधीश बाइज्जत बारी का
फैसला सुनाते हैं

एटम बम की होड़

May 21, 2021 in Other

दुनिया के सब देश मे, एटम बंब की होड़
शांति संधि सब शर्त को, पल में देती तोड़
पल में देती तोड़, बड़ा खतरा है भाई
होगा दुनिया अंत, होड़ है ये दुख दाई
कह पाठक कविराय, कुल्हाड़ी पैर न मारो
दुनिया के सब देश, स्रजन की होड़ सुधारो

बरसात

May 21, 2021 in Other

गर्मी ऋतु के बाद मे, आती है बरसात
धरती उगती घास औ, तरु में आते पात
तरु में आते पात, दामिनी चहुँ दिश चमके
गिरती जल की बूँद, गगन में बादल दमके
कह पाठक कविराय, पवन शीतल सुखदाई
भर जाते जल श्रोत, गर्मी बाद मे आई

कुण्डलिया. नर नारी में भेद न कर

May 21, 2021 in English Poetry

नारी नर में भेद मत, अब कर हे इंसान
समता का अधिकार है, दो आँखो सा जान
दो आँखो सा जान, बनो सब रूप पुजारी
कन्या पत्नी बहिन, और माता है तुम्हारी
कह पाठक कविराय, सबल आंदोलन जारी
शिक्षित है संसार, संभाले अब की नारी

कुण्डलिया नारी वंदना

May 21, 2021 in Other

नारी के सब रूप को, वंदन बारंबार
जो करती सत्कर्म से, दोनों कुल उजियार
दोनों कुल उजियार, सती श्री वीणापाणी
ममता करुणा मूर्ति, जगत की है कल्याणी
कह पाठक कविराय, आरती करे तुम्हारी
हरण करो अग्यान, बचाओ जग को नारी

कुण्डलिया काम करो

May 21, 2021 in Other

करो काम भगवान् का, रखकर हरपल ध्यान
सब जीवों के ह्रदय में, बसते हैं भगवान्
बसते हैं भगवान्, दिखावा नहीं जरूरी
रक्षक बन ईमान, आवश्यकता कर पूरी
कह पाठक कविराय, प्रेम से खाई भरो
सब में ईश्वर अंश, सभी से तुम प्रेम करो

कुण्डली संचार साधन

May 21, 2021 in Other

बच्चे बूढ़े युवक सब, ले साधन संचार
अपनो से हुए दूर औ, तस्वीरों से प्यार
तस्वीरों से प्यार, बढ़ी संवाद हीनता
मोबाइल मन लीन, ऊर्जा रहा छीनता
कह पाठक कविराय, सभी उपकरण हैं अच्छे
सीमित करे प्रयोग, युवक औ बूढ़े बच्चे

मन की परेशानी

May 20, 2021 in शेर-ओ-शायरी

मन को परेशान मत करो गंदे विचारों से
सीख लिया करो कुछ नदी के किनारों से
मस्तिष्क में आएगे भूकंप के झटके
बच कर रहना चाहिए घर की दीवारों से

पानी

May 20, 2021 in शेर-ओ-शायरी

रिमझिम रिमझिम बरस रहा पानी है
चल रही शीतल हवा शाम ये सुहानी है
हरी हरी घास से धरती करे मुस्कान
कह रही प्रिय तम से मिलने की कहानी है

सहयोग आंदोलन चलाए

May 19, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

मानवता की सच्ची सेवा है
सच्चे सुख का श्रोत है
सहयोग
चले गए अंग्रेज
बापू का असहयोग आंदोलन जारी है
बापू ने तो अत्याचार के खिलाफ चलाया था
बड़ा भयानक है आज
अपनो के ख़िलाफ़ जारी है
आंगे बढ़ने, सबको पीछे छोड़ने की होड़
मेहनत हो रही है जी तोड़
किस काम की सफलता जो अपनो को रही छोड़
आइए अपने ह्रदय को समुद्र सा अथाह बनाए
सहयोग करके भले मार्ग वालो का
हौसला बढ़ाए
कुरीतियों, व्यसनों, आतंकियों, अपराधों के खिलाफ सब मिलकर
असहयोग आंदोलन चलाए
इस प्रकार के सहयोग से
संविधान का हौसला बढ़ाए
अपने देश वाशियों के लिए
सहयोग आंदोलन चलाए

परिवर्तन

May 18, 2021 in शेर-ओ-शायरी

परिवर्तन प्रकृति का नियम है बदल जाएगा
कोरोना संसार से सदा के लिए भाग जाएगा
फिर से पटरी में दौड़ेगी समय की ट्रेन
इंतजार कर फिर से हँसेगा और मुस्कुराएगा

मुश्किल दौर

May 18, 2021 in शेर-ओ-शायरी

आजकल मन बहुत उदास है
ना जाने इसे किसकी तलाश है मुश्किल भरे दौर को बनाना
खूबसूरत और खास है

मेरे मन

May 17, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे मन
अकेला जानकार मुझे
सहानुभूति का भाव भरो
अर्जुन नहीं हूँ परंतु अभिनय करना है
श्रीकृष्ण सा समझाया करो
भगवान् का अस्तित्व स्वीकार है
खाली समय प्रभु भक्ति में
विताया करो
प्रदूषण में भी अच्छे विचार खोजकर
लाया करो
प्रेरित करने के लिए मुझे संघर्ष से
सफलता के किस्से सुनाया करो
दुनिया खूबसूरत है बदलने की जरूरत नहीं
ख़ुद को बदलना सिखाया करो
जब सौप दिया जीवन का भार
करतापन का भाव मिटाया करो
मांग कर शर्मिंदा मत करो दाता को
संतोष से सुख पाया करो
अकेला समझकर शैतान सताता है
व्यस्त रहकर सत्कर्म में भगाया करो

किसको सुनाए

May 17, 2021 in शेर-ओ-शायरी

दुख दर्द किसको सुनाए सब अपने मे खोए हुए हैं
बुरा सपना देखकर जागे हम सब सोए हुए हैं
मन का बोझ हल्का होता कुछ बाते करने से
गैरों का क्या कहना जब अपनो से हाथ धोए हुए हैं

खुशी खोज लेना है

May 16, 2021 in शेर-ओ-शायरी

गम के दौर में भी खुशी खोज लेना है
बांट ले दुख दर्द अपनो का साथ देना है
घर में हंसी खुशी का वातावरण रहे
डूबे न नाव करना तैयार एक सेना हैं

हौसला के पंख

May 16, 2021 in शेर-ओ-शायरी

घर की चारदीवारी से बाहर कब जाएंगे
कोरोना से हार गयी जिंदगी इसे कब हराएंगे
गति रुक गई है दुनिया की प्रश्न गूंजते
हौसला के पंख फिर से कब आयेंगे

घबराए नहीं

May 16, 2021 in शेर-ओ-शायरी

मुस्किल घड़ी में भी हम घबराए नहीं भगवान् से दूर कभी जाए नहीं
वक्त बुरा है इंतजार कर रहे हैं
क्यूँकि अभी अच्छे दिन आए नहीं

मत गंवाओ जीवन

May 15, 2021 in शेर-ओ-शायरी

मत गंवाओ जीवन खाने और सोने में
मत गंवाओ जीवन हँसने और रोने में
हर काम का हिसाब देना पड़ेगा जान
मतलब तो कुछ निकाल इंसान होने में

क्यूँ भाग रहा है

May 15, 2021 in शेर-ओ-शायरी

क्या पाया नहीं तूने क्या माँग रहा है
कब का हुआ सवेरा अब जाग रहा है
भगवान् के सम्मुख ख़ुद का कर समर्पण रनछोण दास जैसे क्यूँ भाग रहा है

फिर से संभल jana

May 15, 2021 in शेर-ओ-शायरी

जारी रहता है जीवन में समस्याओ का आना जाना
मुकाबला करो इनका मत बनाओ बहाना
संघर्ष बिना जीवन में सौंदर्य नहीं आता
गिरना स्वभाव है मगर फिर से संभल जाना

मत डरो रात से

May 15, 2021 in शेर-ओ-शायरी

मत डरो रात से सुबह आएगी
सदा नहीं रहा कोई कैसे रह जाएगी
गम में डूबी हुई दुनिया फिर से
खिलखिलाएगी और मुस्कुराएगी

फूल तुम्हारा शुक्रिया

May 14, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे गतिशील पैरों को
आखिर तुमने रोक लिया
फूल तुम्हारा शुक्रिया
नतमस्तक हूँ
तुम्हारे निश्छल स्वभाव के सामने
थकी उबी आँखो के तारा हो तुम
हिरण की तरह उछलने वाले मन को
ठहरे हुए जल की तरह स्थिर कर दिया
जान कर खुशी हुई कि तुम जलते
नहीं हो
तुम्हारी अहंकार शून्यता तुम्हें सर्वाधिक सुंदर बनाती है
तुमने इंसानियत को जिंदा किया
तुम्हारे स्पर्श से
भगवान् भाते हैं
प्रदूषण के जमाने में सुगंध दिया
फूल तुम्हारा शुक्रिया

सत्य मरता नहीं

May 13, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

झूठ की मिट्टी डालकर
दफनाया गया है
सत्य को
परंतु वह अभी भी जीवित है
मरा नहीं
देर से ही सही
भयानक रूप धारण कर
सामने आएगा एक दिन
वह एक दिन
ऎसी अंधेरी रात लाएगा
कि फिर कभी
सवेरा नहीं होगा
इसी अंधेरी रात में
गुम हो जाएंगे महल
और समाप्त हो जाएगी
दुनिया

इंसान घर तोड़ रहा है

May 12, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सदियों पुरानी मर्यादाओं को
क्षण भर में तोड़ देना
अपने अब वही है जो जानते हैं
नीबू जैसे निचोड़ लेना
बहुमंजिला इमारत के नीव के पत्थर
गायब है
फिर ऎसा विश्वाश कैसे आया
कि इमारत सलामत रहेगी
अच्छा नहीं है छोड़ देना
इंसानियत के मुखौटे पहने इंसान
इंसानों को मरोड़ रहा है
घर बनाने के लिए नया
बने बनाए घर को तोड़ रहा है

कोरोना के दोहे

May 11, 2021 in Other

कोरोना ने कर दिया, तन मन धन बर्बाद
हे भगवान् करवाइए, अब इससे
आजाद
कोरोना से रुक गया, दुनिया सकल विकास
दवा बनी जिसकी कमी, करती गयी हताश
मास्क लगाकर कीजिए, कोरोना को दूर
छह फिट की दूरी रखे, ध्यान रहे भरपूर
कोरोना से देश के, उजड़ गए परिवार
थम जाए संहार अब, करिए कुछ सरकार
सुनी सुनी सड़क है, सूने है बाजार
कोरोना के अंत का, आए शुभ त्योहार
पिंजड़े के पंक्षी तरह, बीत रहे दिन रात
तब भी सांसे ना बची, बड़ी भयानक बात

पानी बचाना

May 11, 2021 in शेर-ओ-शायरी

बरसात के पानी को मत व्यर्थ बहाना
जलाशय और सोक्पीट खूब बनाना
पानी बिना सब सून कमी दूर कीजिए
हरहाल में जल का स्तर है बढ़ाना

भ्रष्टाचार

May 11, 2021 in शेर-ओ-शायरी

वतन में भ्रष्टाचार भारी है
सांसो की चल रही मारा मारी है
दे नहीं सकते जो ऊंचे ऊंचे दाम
दुनिया से जाने की उनकी ही बारी है

नवाचार

May 10, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

मन में उल्लास
धधकता रहे अंगार की तरह
हार के बाद भी जीत जाने की संभावना बनी रहे
बीपत्तियों का सामना करे
पहाड़ की तरह
उम्मीद के दीपक जलाकर
अंधेरे में चले
अपनो के विश्वाश पात्र बने हम
लालच, भय, को जीत कर
उपकार करे हम
दे दे सब कुछ देश और समाज को
प्रकृति की तरह
मीठी वाणी बोलकर दिल जीत ले
शांति के लिए
नवाचार करे हम

हरी हरी बाग में

May 9, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

हरी हरी बाग में
सुगंध देती साग हैं
बह रहा पानी मिट्टी की बुझी आग है
झूम रहे तरु
मानो खेल रहे फाग हैं
हरियाली घास की मखमल
सा बाग है
बौर लगी आम में
गीतों की राग है
त्रिविध समीर चले
तन मन के जगे भाग हैं
व्याकुलता भाग गयीं ज्यूँ
नेवले से नाग है
छोड़ कर ना जाए कही
जागता अनुराग है
I

माताएँ

May 9, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

माता कुमाता नहीं हो सकती
परंतु पुत्र नहीं सुपुत्र रहा
मां, धरती मां, भारत मां, प्रकृति मां
, नदी मां, गौ मां
आज सभी पीड़ित, उपेक्षित, असहाय महसूस कर रही है
स्वार्थ ने मां बेटे के बीच की दूरी बढ़ाया है
अपनी सुंदरता के लिए माताओं को
कुरूप बनाया है
अपनी खुशी के लिए
माताओं को रुलाया है
विचार करो इन्ही कर्मों की वजह से तो नहीं धरा पर कोरोना आया है

हंसते खेलते बच्चे

May 8, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

घर के आँगन में
हँसते खेलते बच्चे
दुनियादारी से अनजान
खिले हुए फूल की तरह
सौंदर्य और सुगंध बिखेर रहे हैं
भौरो की तरह मन
प्रतिदिन करता है रसपान
भूल जाते हैं तनाव सब
भूल जाते हैं थकान
बाल हठ तोतली वाणी
सुनने को व्याकुल रहते कान
इनकी शरारते शिशु कृष्ण की याद दिलाती है
देख कर सुहाना दृश्य आँखे
गोपियाँ बन जाती हैं
निश्छल भाव से बच्चो का खिलौनों से प्यार
देखकर बचपन की याद आती है
स्कूल का बस्ता भारी और लोरियाँ
ही भाती है
हंसते खेलते बच्चे
तुम्हें देखते रहे जी भरता नहीं
तुम्हें देख लेने से मंदिर जाने को जी
करता नहीं

विश्वास

May 8, 2021 in शेर-ओ-शायरी

कैसे करें विश्वास लोग घात करते हैं
सावधान उनसे जो मीठी बात करते हैं
एक विश्वास ही जिन्दगी जीने का सहारा था
लोग सोने के हिरण जैसे मुलाकात करते हैं

कर्म

May 8, 2021 in शेर-ओ-शायरी

कर्म करते रहिए कभी बेकार नहीं जाते हैं
आज नहीं तो कल कर्मो का फल पाते हैं
हर काम के बदले पैसा न लीजिए
रखिए सदा ही याद जो संस्कार सिखाते हैं

ये देश है हमारा

May 8, 2021 in शेर-ओ-शायरी

ये देश है हमारा इसे हमे ही बचाना है
दअप‍हतर में हो या घर में मास्क तो लगाना है
अनमोल है जीवन और देश हमारा
सहयोग से सबके महामारी को हराना है

बोलना मना है

May 8, 2021 in English Poetry

हे! इन्सान
मत बोल
बोलना मना है
तेरा मुख सच या झूठ बोलने के लिए नहीं
खाने के लिए बना है
दिन रात खाए जा
फिर भी बिना बोले तू नहीं रह सकता जिंदा
अभिव्यक्ति की आजादी को नहीं करना चाहते शर्मिंदा
तो आम को इमली कह
जुल्म सह
या फिर चुप रह

रास्ते

May 2, 2021 in शेर-ओ-शायरी

बने हुए रास्ते तकदीर वाले पाते हैं
हम तो चलते भी हैं और रास्ते बनाते हैं
शायद कोई करे पदचिन्ह का अनुकरण
कांटो को हटाते हैं और फूल बिछाते हैं

सत्ता का मद

May 2, 2021 in शेर-ओ-शायरी

सत्ता के मद में हो गए चूर चूर हैं
जनता से आजकल वो दूर दूर हैं
भर लो उड़ान कितनी ऊँची आकाश में
आना पड़ा धरा में जितने भी शूर हैं

जीतने की सोचो

May 2, 2021 in शेर-ओ-शायरी

माना कि तुम इस बार फिर से हार गए हो
बस जीतने की सोचो मझधार गए हो
साहस में कमी अपने आने नहीं देना
हर हार से कुछ कमियाँ सुधार गए हो

तुम चलो

May 2, 2021 in शेर-ओ-शायरी

नहीं मिल रही राह तो बनाकर तुम चलो
सुन लो सभी की सुनाकर तुम चलो
चलना ही जिंदगी है यह भूलना नहीं
मंजिल अभी दूर है सब भुलाकर तुम चलो

हौसला बढ़ाओ

May 2, 2021 in शेर-ओ-शायरी

मत सुनो उनकी जो नकारात्मकता से भरे है
पतझड़ में तलाश करो अभी भी कुछ पेड़ हरे है
भीम की तरह कमजोरियों में प्रहार करते रहे
हौसला बढ़ाओ उनका जो घन की घोर घटाओं से डरे है

सवेरा हो गया है

May 2, 2021 in शेर-ओ-शायरी

मत घबराओ सोचकर सांपों का डेरा हो गया है
हैरान मत हो जानकार सपेरा हो गया है
मत तलाश करो अंधेरे में दीपक और टार्च की
जागो तो सही देश में सवेरा हो गया है

झूठ

May 2, 2021 in शेर-ओ-शायरी

छिप गया है सूरज सवेरे फिर आएगा
झूठ मत बोलो जमाना जान जाएगा
झूठ को बना लोगे व्यवसाय तुम अगर
सदा के लिए लोगों का विश्वास चला जाएगा

ठहर जा शिकारी

May 2, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

ठहर जा शिकारी
मत करो शिकार
पर आज भी जारी है
पशु पक्षी का संहार
कुछ विलुप्त हो गए धरा से
कुछ खड़े हैं कगार
जैसे गिद्ध मृत्यु प्राप्त जानवरों को खाते हैं
आज कल नजर नहीं आते हैं
जंगल के राजा जंगल को छोड़ गए
जब से इंसान लालच से रिसता जोड़ गए
उपेक्षित और विलुप्त हो रहे जानवर
धरती की शोभा बढ़ाते हैं
पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन लाते हैं
मत करो कैद इन्हें जंगल ही भाते हैं
ठहर जा शिकारी
करना नहीं शिकार
इनको भी है
जीने का अधिकार
सालिम अली के जैसे
करो तुम प्यार

रिश्वत

May 2, 2021 in शेर-ओ-शायरी

रिश्वत के बिना आजकल काम नहीं होते हैं
सब योजना बेकार है जब दाम नहीं होते हैं
बिगड़ी बनाने वाले होते हैं रिश्वत खोर
कहते हैं सब कुछ दौलत अब राम नहीं होते हैं

सांपों का शहर

May 2, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सांप ने कहा अपने साथियों से
मैं देख आया हूँ शहर की जमीन
वहां चूहों के अनगिनत बिल है
आज ही पलायन करो शहर की ओर
चूहे भी खाएंगे और बना बनाया
घर पाएंगे
वहां के इंसान अपनी जाति का समझ कर
दूध पिलाएंगे
इस प्रकार वे शहर जाते हैं
मोटे तगड़े चूहो को निगल नहीं पाते हैं
चूहे ललकारते हैं
मत डराओ अपने गरल से
हम गाँव के चूहे नहीं है
यहां जहर खाते और पीते हैं
तुमसे भी ज्यादा खतरनाक है
क्यूँकि जहर में जीते हैं

दहेज प्रथा

May 2, 2021 in शेर-ओ-शायरी

बेटी के बाप के घर में दहेज का दानव आया है
छीन कर खुशियाँ उसकी अपना घर बसाया है
इक्कीसवीं सदी में भी जारी है ये अभिशाप
बेटी के दोनों पक्षों को जिसने नर्क बनाया है

छंद कुण्डली. मंहगाई

May 1, 2021 in Other

आय न सके बढ़ाय पर, मंहगाई की मार
जीवन जीना कठिन है सुन लीजै सरकार
सुन लीजै सरकार, कैसे परिवार चलाए
गर्दन कटे गरीब, नहीं तलवार चलाए
कह पाठक कविराय, बढ़ेगी यूँ महगाई
पिछड़ जाएंगे लोग, और होगी कठिनाई

छंद कुण्डली कर्म

May 1, 2021 in Other

खाने सोने में रहे, जीवन लोग गंवाय
उन्नति देखी और की, सिर धुन धुन पछिताय
सिर धुन धुन पछिताय, काम कुछ करिए ऎसा
जगत करे सम्मान और पाए भी पैसा
कह पाठक कविराय, कर्म बिन जीवन सूना
जग यह करम प्रधान, धर्म से सुख ले दूना

छंद कुंडालियाँ देश एकता

May 1, 2021 in Other

देश एकता अखंडता, जोड़े सूत्र समाज
जो तोडे़गा वह नहीं, हो सकता युवराज
हो सकता युवराज , पांच वर्षों तक छाए
लेना है मतदान, देश दंगा करवाए
कहते हैं कविराय, चलेगा अब ना ऎसा
जोड़े सूत्र समाज, परिश्रम से ले पैसा

मैंने नहीं देखा

May 1, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैंने नहीं देखा
सुना है कि कल अज्ञात गरीब की बेटी का
बलात्कार हो गया
मैंने नहीं देखा
सुना है कि कल पड़ोसी के घर में चोरी हुई
मैंने नहीं देखा
सुना है कि दबंगों ने युवक को पीट पीट कर मार डाला और सीना जोरी हुई
मैंने नहीं देखा
सुना है कि जाने माने नेता जी के चरित्र में दाग लगे और उनकी कमजोरी हुई
मैंने नहीं देखा
सुना है कि अज्ञात किसान के खेत जल गए और सुंदर लोरी हुई
मैंने नहीं देखा
सुना है कि वहां पुलिस वाले भी आए
गवाह के लिए सबके दरवाजे खटखटाए
मगर एक ही उत्तर पाए
मैंने नहीं देखा
सुना भी नहीं
पुलिस वाले पछता रहे हैं इस प्रकार जा रहे है
क्या आपने देखा? यदि हां
तो पुलिस को जरूर बताना

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