Categories: Other
Related Articles
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
अर्थ जगत का सार नही, प्रेम जगत का सार है ।
अर्थ जगत का सार नही, प्रेम जगत का सार है । प्रेम से ही टिकी हुई, धरती, गगन, भुवन है ।। अर्थ जगत का सार…
स्वच्छ भारत
स्वच्छ्ता हो प्राथमिकता स्वयं से शुरुआत करिए। स्वच्छ हो घर-बार अपना स्वच्छता हो सार अपना ग़र नहीं मिलता समय तो दीजिए इतवार अपना मामला सबसे…
लॉक डाउन २.०
लॉक डाउन २.० चौदह अप्रैल दो हज़ार बीस, माननीय प्रधान मंत्री जी की स्पीच । देश के नाम संबोधन, पहुंचा हर जन तक । कई…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
आप बुरा मत मानियेगा लेकिन कुंडलिया छन्द लिखने पर कुछ कहना चाहती हूँ। क्योंकि कुंडलिया छन्द में जिस शब्द से शुरुआत होती है अंत मे भी वही शब्द आना चाहिए। जैसे खाने शब्द से शुरुआत हुई है तो खाने शब्द ही अंत मे आता है।
साथ ही इसमें दोहा सोरठा की 13-11 और 11-13 मात्राएं होती हैं। इसमें मात्रा का ध्यान आवश्यक होता है।
बेहतरीन
बहुत सुंदर