अत्याचार
फकत रोने से काम नहीं चलता है,
अत्याचार तो अत्याचार है, सबको खलता है
प्रतिकार करो , मत करो सहन
क्षमता से अपनी जीतो दिल
बात पते की कहती हूं,
अत्याचार सहना बढ़ावा है
एक और अत्याचार को बहन..
फकत रोने से काम नहीं चलता है,
अत्याचार तो अत्याचार है, सबको खलता है
प्रतिकार करो , मत करो सहन
क्षमता से अपनी जीतो दिल
बात पते की कहती हूं,
अत्याचार सहना बढ़ावा है
एक और अत्याचार को बहन..
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👌✍✍
बहुत अच्छा
Thank you Rishi ji
सुंदर विचार
बहुत बहुत धन्यवाद मोहन जी🙏
”प्रतिकार करो , मत करो सहन
क्षमता से अपनी जीतो दिल”.
बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ, जबरदस्त प्रतिभा है। सटीक लिखती हैं आप। वाह वाह
समीक्षा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद सर।आपकी प्रेरक समीक्षा हेतु बहुत बहुत आभार 🙏
उम्दा लेखन
बहुत बहुत धन्यवाद कमला जी 🙏
Wow, great
Thanks a lot chandra ji🙏
बहुत बढ़िया
सादर धन्यवाद सर 🙏
प्रेरक पंक्तियाँ
समीक्षा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद पीयूष जी 🙏
Atisunder
बहुत बहुत धन्यवाद आपका भाई जी 🙏
True line
Thank you ji
Bahut achcha pratibha
बहुत बहुत धन्यवाद ईशा जी🙏
अतिसुंदर विचार
धन्यवाद जी
VERY NICE
Thanks for your nice complement Indu ji🙏
सुन्दर भाव
Thank you