आजाद किसे कहें!
आजाद किसे कहें?
सब बंधे हैं बंधन में।
हर शाम पंछी,
अपना घोंसला तलाशता है।
जहां चाह होती है,
अपने आशियाने की।
वह बोलते नहीं तो क्या,
दिख जाती है उनकी ममता,
जब चुग कर खिलाती है,
दाना अपने बच्चों को।
सिखाती है उसे उड़ना,
पंख फैलाकर,
आजाद किसे कहें ,
सब बंधे हैं बंधन में।
सुन्दर भाव, सुन्दर अभिव्यक्ति
सादर धन्यवाद
बेहतरीन प्रस्तुति
धन्यवाद सर
रचना तारीफ़ ए क़ाबिल है।
धन्यवाद सर
sunder kavita
धन्यवाद
बेहतरीन लेखनी
धन्यवाद सर