एक फूल दो माली***
करुण रस की कविता:-
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जिसने हमको प्यार किया
मेरी राह में सुबहो से शाम किया
ना कद्र की हमनें
एक पल भी उसकी
अपशब्दों का उस पर वार किया
एक रोज़ मैं बैठी थी
अपने प्रिय के साथ जहाँ
आ पहुँचा लेकर
वो पागल फूल वहाँ
मैं अपने प्रिय की संगिनी थी
प्रेम में मेरे निष्ठा थी
मैं बोली उठ चल ओ पगले !
तेरा मेरा कोई मेल नहीं
प्यार मोहब्बत एक इबादत है
बच्चों का कोई खेल नहीं
वह सुनता रहा चुपचाप खड़ा
मेरे प्रिय की ओर मुड़ा
मैं बोली मेरे साजन हैं
मेरे हिय के बसते आँगन हैं
वह टूटा जैसे पुच्छल तारा
गिर पड़ा मोहब्बत का मारा
लग रहा था जैसे कोई जुआरी
चौंसर में अपना सबकुछ हारा
पड़ी हुई थी ब्लेड वहाँ पर
वह बिखरा हुआ पड़ा था जहाँ पर
झट से उसनें काटी अपनी कलाई
उसकी जान पे यूँ बन आई
हमनें सबको वहाँ बुलाया
सरकारी में भर्ती करवाया
बिलख-बिलखकर रो मैं रही थी
उसकी माँ बेहाल पड़ी थी
खबर आई वह कोमा में गया है
फिर पता चला वह दुनियाँ छोड़ चला है।
मार्मिक भाव, दुःखित संवेदना। सटीक चित्रण,
Thanks
ओह! अत्यंत दुःखद रचना
सीख देने वाली कविता
Thanks
बहुत सुंदर रचना ,मार्मिक भाव
🙏🙏
सुंदर
धन्यवाद आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूँ
बहुत खूब
🙏🙏thanks
बेहद मार्मिक भाव… सटीक चित्रण ।
🙏🙏