क्यों है

आदमी आज परेशान इतना क्यों है,
लुटा सा देखता अरमान क्यों है,
खुद के घर में बना मेहमान क्यों है,
इंसान है तो फिर बना हैवान क्यों है।
धड़कता दिल बना बेजान क्यों है,
जानता है सभी कुछ फिर बना अंजान क्यों है।

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ऐसा क्यों है

चारो दिशाओं में छाया इतना कुहा सा क्यों है यहाँ जर्रे जर्रे में बिखरा इतना धुआँ सा क्यों है शहर के चप्पे चप्पे पर तैनात…

Responses

  1. आदमी आज परेशान इतना क्यों है,
    लुटा सा देखता अरमान क्यों है,
    _________ परेशानी में इंसान की मनः स्थिति का यथार्थ वर्णन प्रस्तुत करती हुई कवि सतीश जी की, अति उत्तम रचना लाजवाब अभिव्यक्ति

  2. आदमी आज परेशान इतना क्यों है,
    लुटा सा देखता अरमान क्यों है,
    खुद के घर में बना मेहमान क्यों है,
    इंसान है तो फिर बना हैवान क्यों है।
    धड़कता दिल बना बेजान क्यों है,
    जानता है सभी कुछ फिर बना अंजान क्यों है।

    बहुत साधारण भाषा में बड़ी बात कही है आपने
    सच तो यही है कि हर इंसान परेशान है
    जीवन की कठिनाइयों से जूझते व्यक्ति पर सुंदर रचना

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