गुमनामी का समंदर
होठों से बयाँ होता है आँखों का दर्द सुनहरा ,
जब अश्क रूठ जाते हैं किसी बेगाने की यादों में ,
हर दर्द जवाँ हो जाता बीते हुये हर उस पल सेें,
जिनकी यादों की कहानियाँ लिख गयी हैं वो आँचल से,
हर बात बयाँ हो जाती आने वाले उस कल में,
खामोशी का चादर ओढ़े तन्हाई के हर मन्जर में ,
बेनाम सा चेहरा याद कभी जो आँखों को आ जाता है ,
पलकों से बहकर आँसू अधरों से जा मिल जाता है ,
हर ख्वाब उसी से शुरू हुआ हर ख्वाब उसी पर थमता है,
ख्वाबों का भी वो ख्वाब बना ख्वाबों में नहीं वो दिखता है
भीगी पलकों पर ख्वाब समेंटे रात यूँ ही कट जाती हैं ,
जब इतंजार की घड़ियाँ भी इकरार नहीं ला पाती हैं,
वो नाम रहे गुमनाम रहे अधरों से भी अन्जान रहे,
बस दिल के हर इक कोने में उस की अपनी पहचान रहे ,
इस गुमनामी के समंदर में गुमनाम बात वो याद रहीं,
याद रहीं वो रात वहीं जिसमें वो ख्वाबों में साथ रहीं,
हर याद संजोये रखी है हर साँस संजोये रखी है ,
तेरे वापस आने की हर आश संजोये रखी है ,
bahut achi kavita
धन्यवाद
धन्यवाद
भीगी पलकों पर ख्वाब समेंटे रात यूँ ही कट जाती हैं ,
जब इतंजार की घड़ियाँ भी इकरार नहीं ला पाती हैं, …. beautifully expressed!
thank you
पलकों से बहकर आँसू अधरों से जा मिल जाता है …. Subhaan Allah
धन्यवाद
बहुत सुंदर
Ati sundar rachna