Categories: शेर-ओ-शायरी
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निर्झर झरता गीत
यह गीत धरा का धैर्य गर्व है, नील–गगन का यह गीत झरा निर्झर-सा मेरे; प्यासे मन का …. यह गीत सु—वासित् : चंदन–वन…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
क्या दोष तुम्हें दूँ तुम ही कहो..
क्या दोष तुम्हें दूँ तुम ही कहो.. क्या दोष तुम्हें दूँ तुम ही कहो.. इस रिश्ते की बुनियाद हिलाने की शुरुआत तो मैंने की थी..…
आज कुछ मत कहो
नहीं, आज मुझसे कोई तस्वीर रंगने को मत कहो। क्योंकि, हर बार जब मैं ब्रश उठाता हूँ, और उसे रंग के प्याले में डूबता हूँ;…
आराध्य:- हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ
हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ || कि अब ना बजती बंशी की धुन कहीं गइयों को…
Nice
धन्यवाद
अति सुन्दर रचना
थैंक्स
वाह