छंद कुंडालियाँ देश एकता

देश एकता अखंडता, जोड़े सूत्र समाज
जो तोडे़गा वह नहीं, हो सकता युवराज
हो सकता युवराज , पांच वर्षों तक छाए
लेना है मतदान, देश दंगा करवाए
कहते हैं कविराय, चलेगा अब ना ऎसा
जोड़े सूत्र समाज, परिश्रम से ले पैसा

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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. आपने बहुत अच्छा लिखा है, लेकिन हिंदी व्याकरण की दृष्टि से यह कुंडलिया छन्द नहीं बन पाया है। प्रयास अच्छा किया है।

  2. 30 में अनेकता में एकता का संदेश देती बहुत ही प्यारी रचना

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