छिपाना मत
जो भी हो मन में,
देखो कुछ भी छिपाना मत ।
मैं हर भावो को खुद ही समझ जाऊँगा
देखो लोचन पे लाना मत ।
कभी तुमने ही कहा तो था
सच बताने
गर सच बताया तो
दामन छुङाना मत।
कयी गम हैं इन पलकों पर
बताया तो
पलकों को रूलाना मत।
देखो तुम रूठे तो जग रूठा
मैं रूठू , मुझे मनाना मत।
NICE
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत खूबसूरत
बहुत सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद
सुन्दर
बहुत बहुत धन्यवाद
Wah bhot sunder 👏👏
बहुत बहुत धन्यवाद
वाह बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत बहुत धन्यवाद
Nice
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत ही उम्दा रचना
सादर धन्यवाद
समझ में नहीं आ रहा इतनी सारी टिप्पणियों को एक साथ कैसे सहेजू।
एकबार पुनः आभार ज्ञापित करती हूँ प्रतिमाजी