ज़िन्दगी के फ़लसफ़े
मुद्दतें गुज़र जाती है, ज़िन्दगी के फ़लसफ़े समझते।
जब जिंदगी समझ आती, हाथ वक्त ही नहीं बचते।
खेल-कूद में बचपन बीता, जवानी मौज़-मस्ती में,
फिर सारी उम्र वो, दूसरों के टुकड़ों पर ही पलते।
बड़े-बुजुर्गों की समझाईश, या हो तजुर्बा ता-उम्र का,
जो भी नसीहत दें, वो सभी अपने दुश्मन ही लगते।
वक़्त गुज़र जाता है, पीछे पछतावा बस रह जाता,
वक्त पे वक्त को समझते, काश वक्त के साथ चलते।
देवेश साखरे ‘देव’
फ़लसफ़े- philosophy,
लगातार अपडेट रहने के लिए सावन से फ़ेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, पिन्टरेस्ट पर जुड़े|
यदि आपको सावन पर किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो हमें हमारे फ़ेसबुक पेज पर सूचित करें|
Reetu Honey - December 14, 2019, 2:11 pm
Good
देवेश साखरे 'देव' - December 14, 2019, 2:13 pm
Thanks
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - December 14, 2019, 2:24 pm
सुंदर
देवेश साखरे 'देव' - December 14, 2019, 4:04 pm
धन्यवाद
Pragya Shukla - December 14, 2019, 3:08 pm
Waah
देवेश साखरे 'देव' - December 14, 2019, 4:05 pm
शुक्रिया
Pragya Shukla - December 14, 2019, 4:57 pm
Wellcome
Abhishek kumar - December 14, 2019, 3:40 pm
Good
देवेश साखरे 'देव' - December 14, 2019, 4:04 pm
Thanks
Abhishek kumar - December 14, 2019, 5:31 pm
Wellcome
Abhishek kumar - December 14, 2019, 6:01 pm
सुन्दर रचना
देवेश साखरे 'देव' - December 15, 2019, 6:23 pm
धन्यवाद
Amod Kumar Ray - December 15, 2019, 4:10 am
बहुत खुब
देवेश साखरे 'देव' - December 15, 2019, 6:24 pm
शुक्रिया