ज़िन्दगी के फ़लसफ़े
मुद्दतें गुज़र जाती है, ज़िन्दगी के फ़लसफ़े समझते।
जब जिंदगी समझ आती, हाथ वक्त ही नहीं बचते।
खेल-कूद में बचपन बीता, जवानी मौज़-मस्ती में,
फिर सारी उम्र वो, दूसरों के टुकड़ों पर ही पलते।
बड़े-बुजुर्गों की समझाईश, या हो तजुर्बा ता-उम्र का,
जो भी नसीहत दें, वो सभी अपने दुश्मन ही लगते।
वक़्त गुज़र जाता है, पीछे पछतावा बस रह जाता,
वक्त पे वक्त को समझते, काश वक्त के साथ चलते।
देवेश साखरे ‘देव’
फ़लसफ़े- philosophy,
Good
Thanks
सुंदर
धन्यवाद
Waah
शुक्रिया
Wellcome
Good
Thanks
Wellcome
सुन्दर रचना
धन्यवाद
बहुत खुब
शुक्रिया