जिंदगी
आख़िरकार थक कर जिन्दगी मुझसे बोल ही पड़ी!!
यूँ कब तक खुद से भागते रहोगे, जरा सा ठहरो,
ठंडा-वंडा पानी पी!!
जरा झांक कर तो देखो अपने अतीत में,
जरा नजरे तो मिलाओ पुरानी प्रीत से!!
जब देखा पीछे मुड़ कर वाकई कुछ सुहानी यादे खड़ी थी!!
आँखों में बसी कोई मूरत बाहें फैलाए सामने खड़ी थी!!
कही पर ज्येष्ठ के माह में भी बर्फवारी हो रही थी!!
कही पर रातों को भी सूरज की किरने नहला रही थी!!
आरज़ू रहती थी दिल में कि, आग में भी ठंडक हो!!
रेगिस्तान में भी कमल की बरकत ही बरकत हो!!
आसमान में खिली तारो की हर एक लड़ी,
हाथों में उनकी किस्मत की हरकत ही हरकत हो!!
कभी चाँद को देख कर मन का रोम-रोम खिल जाता था!!
आज ज़िन्दगी सर्कस हैं फिर भी हंसना नहीं आ रहा था!!
कभी अपने गमो से, कभी दूसरो की खुशी से,
आँखों से अश्रुओं की लड़ी बह रही थी!!!
आज मेरी अपनी किस्मत मेरी ही,
बेबसी पर हँस रही थी!!
अब लगता हैं की ये तो सिर्फ एक सपना हैं!!
एक सपने को सच मान बैठे,
शायद कसूर सिर्फ और सिर्फ अपना हैं!!
पर नव वर्ष में इन सबको नहीं दोहराना हैं!!
पर नव वर्ष में इन सबको नहीं दोहराना हैं!!
Shaandaar poem ankit
Shukriya dost
Touching poetry sirji
Pls don’t call me sir,, otherwise सर पर ही चढ़ जाऊँगा मै :p
जरा झांक कर तो देखो अपने अतीत में,
जरा नजरे तो मिलाओ पुरानी प्रीत से!!…….. who is your पुरानी प्रीत
My purani preet name starts from A and ends with A…., that too by coincidence…
Good
वाह जी वाह
Waah waah