जीत का परचम
नारी हो निराशा नहीं,
टूटे ना तेरी आशा कहीं,।
निशा है तो नव – प्रभात भी आएगा ।
तेरी जीत का परचम लहरएगा ।
खोखले, ढकोसले, न तुझे रुलाएं,
खुदी को कर बुलंद इतना,
कि हवा भी पूछ के आए ।
नारी हो निराशा नहीं,
टूटे ना तेरी आशा कहीं,।
निशा है तो नव – प्रभात भी आएगा ।
तेरी जीत का परचम लहरएगा ।
खोखले, ढकोसले, न तुझे रुलाएं,
खुदी को कर बुलंद इतना,
कि हवा भी पूछ के आए ।
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सुन्दर प्रस्तुति
धन्यवाद जी
पता नहीं क्यों लोग
इस कदर दुखी करते हैं
खोखले ढकोसलों से
मन को दुखी करते हैं।
जी बिल्कुल, लेकिन यदि हम अपनी बेटियों को शिक्षा के माध्यम से बुलंद बना दें तो ये सब कम हो सकता है…… समीक्षा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद जी 🙏
बहुत सच्ची पंक्तियाँ लिखी हैं आपने
सादर धन्यवाद जी 🙏
अति सुन्दर
समीक्षा भी अति सुंदर लगी है बहना।
बहुत खूब
बहुत शुक्रिया भाई जी 🙏
नारी निराश नहीं हो सकती है। बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति, लेखनी में काफी क्षमता है आपकी। वाह
प्रेरणदायक समीक्षा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद।🙏🙏
यूं ही प्रेरणा देते रहें ।
Bahut hi sundar
बहुत सारा धन्यवाद है ईशा जी 💐
वाह वाह
Thank you very much Piyush ji 🙏
नारी हो निराशा नहीं,
very nice
आपने भाव को बहुत अच्छे से समझा है इन्दु जी समीक्षा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏