तुम झूठ किसी और दिन बोलना

सच कभी हमारा दामन नहीं छोड़ता 
कोई भटकाव हमारा प्रण नहीं तोड़ता 
जब भी विरोधाभास का आभास हुआ 

हम कोई प्रतिक्रिया देते वक़्त नहीं भूले 
अपने शब्दों को बोलने से पहले तोलना 

फिर भी जाने क्यूँ कहने वाले कह ही गए 
तुम झूठ किसी और दिन बोलना
तुम झूठ किसी और दिन बोलना

हमने फिर भी बेरुखी नहीं अपनायी 
लाख चाहे लफ़्ज़ों के हेर फेर की 
अक्सर बेतरतीबी से चोट खायी 

लेकिन सम्मान देने की खातिर 
हमने कभी फटे में टांग न अढ़ाई 

क़श्मक़श में दिल से जो बात की
बस अपने दिल से ये आवाज़ आयी 

कभी अपने इस बड़ी कमज़ोरी का 
तुम राज़ किसी के आगे नहीं खोलना

फिर भी जाने क्यूँ कहने वाले कह ही गए 
झूठ किसी और दिन बोलनातुम
तुम झूठ किसी और दिन बोलना

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. अति उत्तम रचना सत्य सत्य ही होता है और झूठ ज्यादा दिन नहीं टिकता

+

New Report

Close