तेरी चाहत
तेरी चाहत में इतना मैं पराया हो गया खुद से ,
कि दिल मेरा है फिर भी बात करता है सदा तेरी..
कभी वो चांदनी मेरी थी, अब पावस की है यह रात,
नहीं दिल में मेरे अब वो, नहीं हाथो में उसका हाथ..
न वो मेरी न मैं उसका तो फिर ये बीच का क्या है,
नहीं देखूंगा अब उसको जो चेहरा चाँद जैसा है…
…atr
Good
सुन्दर
वाह
Wah
Wa
बहुत खूब