नश्वर है, ये जीवन
जीवन क्या है?
क्या है जीवन!
लकड़ी का कोई फट्टा-सा,
पेड़ का कोई पत्ता-सा
कब टुट जाएं कुछ पता नहीं,
मानो कोई गुब्बारा-सा
तैरता मटका बेचारा-सा
कब फूट जाए पता नहीं।
जीवन क्या है?
क्या है जीवन!
लकड़ी का कोई फट्टा-सा,
पेड़ का कोई पत्ता-सा
कब टुट जाएं कुछ पता नहीं,
मानो कोई गुब्बारा-सा
तैरता मटका बेचारा-सा
कब फूट जाए पता नहीं।
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बहुत खूब, मार्मिक
धन्यवाद 🙏 जी
Nice
🙏
Uttam vichar
हार्दिक धन्यवाद 🙏 जी
सत्य परन्तु मार्मिक
, धन्यवाद मैडम जी 🙏
सुन्दर रचना
As Kabir said, यह संसार कागद की पुड़िया
बूंद पड़े घुल जाना है
बहुत बहुत आभार मैडमजी 🙏
भारतीय दर्शन का सुन्दरता से प्रस्तुति
सादर धन्यवाद 🙏 जी
बहुत ही उम्दा