ना करें पलायन

जरूरतमंद आए नजर
तो न करें
वहां से
‘पलायन’
करें मदद उसकी
दें कुछ
उसे ‘उपायन’
निज तन से
करी मदद उसकी
ना करें
चहुंओर ‘गायन’
अपने संग दूजे का
होता रहे ‘कलायन’
कदम बढ़ाए
हम सब संग में
जहां हो ‘मंगलायन’ ।
__✍️एकता गुप्ता ‘काव्या’
जरूरतमंदों की मदद करने को प्रेरित करते एकता जी के बहुत ही सुंदर पंक्तियां वाह वाह बहुत खूब ऐसे ही अविरल कलम चलाते रहिए और निरंतर आगे बढ़ते रहें
बहुत-बहुत धन्यवाद प्रज्ञा जी
प्रेरक काव्य
बहुत सुंदर पंक्तियाँ हैं एकता जी। जय हो
सादर अभिनंदन आपका
श्लाघनीय रचना👏👏🙏
बहुत खूब
सादर आभार