नील-परिधान

नील परिधान में जब,
सम्मुख उनके आ गई
उनको देख कर,
मेरी भी नज़र शरमा गई
देख कर हमें वो,
कुछ गुनगुनाने लगे
हम भी कुछ कहना चाहते थे,
बोल ही ना निकले मुख से
कह ही पाए ना कुछ भी,
हया से सिमट के हम
मंद-मंद मुस्काने लगे

*****✍️गीता

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Responses

  1. हम भी कुछ कहना चाहते थे,
    बोल ही ना निकले मुख से
    कह ही पाए ना कुछ भी,
    हया से सिमट के हम
    मंद-मंद मुस्काने लगे,
    बहुत ही लाजवाब पंक्तियाँ हैं। कवि गीता जी की लेखनी से निकली बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ हैं यह। यह निरंतरता बनी रहे।

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