पड़ चुकी है साँझ
पड़ चुकी है साँझ
घर घर में चमकते बल्ब ऐसे
लग रहे हैं, जैसे तारों ने किया
धरती में डेरा।
और चंदा आसमां में
आ चुका है, फुल चमक में,
चाँद-तारे और बल्बों का मिलन
फैला चमन में।
साथ देने आ गयी शीतल हवा
भी साथ में,
अद्भुत नजारा सज गया है,
इस अंधेरी रात में।
पर्वतों का बहुत सुंदर नज़ारा प्रस्तुत किया है ।”चांद तारों और बल्बों का मिलन फैला चमन में, साथ देने आ गई शीतल हवा भी साथ में ” यमक अलंकार का सुंदर प्रयोग । ऐसा ही दृश्य देखने को मिलता है पर्वतीय इलाकों में। सौंदर्य से परिपूर्ण अद्भुत वर्णन ।
लेखनी की विलक्षण प्रतिभा को अभिवादन ।
सादर प्रणाम है आपको जो इतनी खूबसूरत समीक्षा की है आपने। यह आपकी विद्वता को परिलक्षित करती है। सादर धन्यवाद गीता जी
अतिसुंदर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद शास्त्री जी
प्रकृति का बहुत बढ़िया चित्रण वाह
सादर धन्यवाद
लाजवाब
बहुत बहुत धन्यवाद जी
बहुत शानदार कविता वाह
अदभुत रचना पाण्डेय जी वाह
Uttam