Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मां तूं दुनिया मेरी
हरदम शिकायत तूं मुझे माना करती कहां निमकी-खोरमा छिपा के रखती कहां भाई से ही स्नेह मन में तेरे यहां रह के भी तूं रहती…
रात तूं कहां रह जाती
अकसर ये ख्याल उठते जेहन में रात तूं किधर ठहर जाती पलक बिछाए दिवस तेरे लिए तूं इतनी देर से क्यूं आती।। थक गये सब…
ज्यादा नहीं मुझे तो बस………..
ज्यादा नहीं मुझे तो बस एक सच्चा इंसान बना दे तूँ । एक बार नहीं चाहे हर बार सच में हर बार बना दे…
म्हा- शक्ति
मौलिक–विचार है म्हा–शक्ति, जो उसने ख़ुद तेरे चित् जगाई है, रहते ख़ास कारण उसके काम मैँ,क्यों उसने तुममे यह भरपाई है ? निर–विचार जो…
कहे लेखनी मान, उसे खुशियों की पेटी,
आशा की है किरण, उसे कहते हैं बेटी।
******बेटी पर आधारित आपकी बहुत सुंदर रचना है,बहुत ही सुन्दर विचार और भाव लिए हुए छंद बद्ध शैली में उच्च स्तरीय रचना, वाह
इस बेहतरीन समीक्षा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी
बहुत सुन्दर भाव
बहुत बहुत धन्यवाद
वाह बहुत खूब
सादर धन्यवाद
बेटियों पर बहुत ही सुन्दर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद
Vvery beautiful poem based on daughters
बहुत बहुत धन्यवाद सर
Very beautiful
Thank you