” भूख ” (Poetry on Picture Contest)….
गरीबी ख़ुद के सिवा, औरों पे असरदार नहीं होती;
शायद इसीलिए भूखों की, कोई सरकार नहीं होती !!
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महज़ दो वक़्त की रोटी, और चन्द पैरहन तन पे;
फक़ीरों को इससे ज्यादा की, दरकार नहीं होती !!
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रोटियां फेंकने से बेहतर है, किसी गरीब को दे-दो;
किसी के खा लेने से, रोटी कभी बेकार नहीं होती !!
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भूख का दर्द “साहब”, हर एक दर्द से बढ़कर है;
गर ये दर्द ना हो तो, शायद कोई तकरार ना होती !!…..#अक्स
behatreen janaab…laazbaab!
tahe dil se shukriya Panna ji !!
shukriya sahab !!
nice
thank uuuu
Waah