मंद आदत त्याग दो
चाँद देखो, चाँद की
शीतल छटा का लाभ लो।
दाग-धब्बे खोजने की
मंद आदत त्याग दो।
इंसान में कमियां भी होंगी
और अच्छाई भी होगी
बस कमी ही खोजने की
मंद आदत त्याग दो।
हो सके तो गोंद बन
टूटे दिलों को जोड़ दो,
टूटे हुए को तोड़ने की
मंद आदत त्याग दो।
राह में कोई मुसाफिर
यदि पड़ा हो कष्ट में
दो उसे थोड़ी मदद
नजरें चुराना त्याग दो।
चाँद देखो, चाँद की
शीतल छटा का लाभ लो।
दाग-धब्बे खोजने की
मंद आदत त्याग दो।
वाह पाण्डेय जी, बहुत खूब
वाह वाह क्या बात है सर
अच्छाई और कमियां तो सभी में ही होती है। इस बात को दर्शाने की सुंदर प्रस्तुति. बहुत सुंदर भाव..
बहुत ही सुन्दर पंक्तियां, सुंदर सलाह।
बेहतरीन कविता, बहुत बढ़िया
अच्छे शब्दों का प्रयोग
अतिसुंदर भाव
Bhot khub chacha ji🖤